' स्वेदन' पसीना निकालना है और यह 'स्नेहन के तुरंत बात
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' स्वेदन' पसीना निकालना है और यह 'स्नेहन के तुरंत बात दिया जाता है।
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पवित्र बनाने वालों अनुष्ठानों में वस्त्रों को बदलना, बालों तथा नाखूनों को काटन पसीना निकालना, आग तापना, धूनी देना, सुगंधित पदार्थों के जलाना, और वृक्ष की किसी डाली से झाड़फूंक कराना शामिल है।
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पसीना निकालना पड़ता है अगर हम पसीना नहीं निकालें तब? पेशाब न करें तब? साँस नहीं लें तब? इन सबके द्वारा जो हम मलिनताओं को निकालते हैं, अगर हम इन मलिनताओं को नहीं निकालें अर्थात साँस नहीं लें, पसीना नहीं निकालें, पेशाब नहीं करें, तब मलिनताएँ हमारे शरीर में जमा होती चली जाएँगी और मित्रो! कोई और तो मारेगा नहीं, हमारी कोई हत्या करने तो नहीं आएगा, लेकिन मलिनताएँ हमको मार डालेंगी ।